धम्मपद – अप्पमाद वर्ग अप्पमादो अमतपदं – पमादो मच्चुनो पदंअप्पमत्ता न मीयन्ति – ये पमत्ता यथा मता। 1. शील, समाधी, प्रज्ञा को बढ़ाने वाला अप्रमादी व्यक्ति अमृत निर्वाण को पाता है। लेकिन काम-वासना सुख में फंसा हुआ व्यक्ति को हमेशा केवल मृत्यु हीं मिलता है। बिना देर हुये धर्म की रास्ता पर चलने वाला व्यक्ति… (Read More)
यानिध भूतानि समागतानि – भुम्मानि वा यानि व अन्तलिक्खे ।सब्बेव भूता सुमना भवन्तु – अथोपि सक्कच्च सुणन्तु भासितं ।। जो कोई प्राणी यहाँ उपस्थित है / धरती पर या आकाश मेंउन सबके कल्याण के लिए / हमारे इस कथन को भली प्रकार से सुनें । तस्मा हि भूता निसामेथ सब्बे – मेत्तं करोथ मानुसिया पजाय… (Read More)
1. शांत है इन्द्रियाँ उन श्रमणों की – मन भी है अत्यंत शांतचाहे बैठे हों या चलते हों – है आचरण परम शांतसंयंमित है आँखें, नीची नजरों वालें – अर्थसहित बात है करतेऐसे हैं मेरे श्रमणगण। 2. शरीर से होने वाले सारे कार्य – है परम पवित्रवाणी भी अत्यंत है निर्मल – नहीं भड़कता कोई… (Read More)
उस समय, भगवान बुद्ध श्रावस्ती के जेतवन में रह रहे थे, एक भिक्षु निर्वाण को साक्षात् करने के लिए लंबे समय से प्रयत्न कर रहा था, लेकिन उसे फल नहीं मिल सका। वह ध्यान लगाना और प्रवचन सुनना छोड़ दिया। यह जानकर, भगवान बुद्ध ने उस भिक्षु के मन को शांत करने और उसके प्रयासों… (Read More)
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स धम्मचक्कप्पवत्तन सुत्त एवं मे सुतं एकं समयं भगवा बाराणसियं विहरति इसिपतने मिगदाये तत्र खो भगवा पञ्चवग्गिये भिक्खू आमन्तेसि। द्वे मे भिक्खवे अन्ता पब्बजितेन न सेवितब्बा। यो चायं कामेसु कामसुखल्लिकानुयोगो हीनो गम्मो पोथुज्जनिको अनरियो अनत्थसंहितो। यो चायं अत्तकिलमथानुयोगो दुक्खो अनरियो… (Read More)
धम्मपद – यमक वर मनोपुब्बंगमा धम्मा – मनोसेट्ठा मनोमयामनसा चे पदुट्ठेन – भासति वा करोति वाततो नं दुक्खमन्वेति – चक्कंव वहतो पदं। 1. इस जीवन में सभी अकुशल के लिए मन हीं मूल होता है। मन हीं मुख्य होता है। सभी अकुशल विचार मन से हीं उत्पन्न होता है। अगर जो कोई बुरे मन से… (Read More)
लोग बुद्ध के प्रति श्रद्धा-श्रद्धा कहते हैं, पर क्या आप जानते हैं कि श्रद्धा दो प्रकार की होती है, जिसमें से वास्तविक श्रद्धा क्या होती है…? वो आपको इस धर्म-चर्चा से समझ में आयेगा। श्रद्धा का स्वभाव क्या है…? भगवान बुद्ध के प्रति अटल श्रद्धा कैसे उत्पन्न कर सकते हैं..? उसके लिए क्या करना चाहिए..?… (Read More)
पुण्यवान सज्जनो, पुण्यवान बच्चो, यह खूबसूरत जातक कथा आप सभी ने पहले भी सुनी होगी । इस जातक कथा की पृष्ठभूमि बहुत मूल्यवान सलाह है जिसे हम अभी तक नहीं जानते हैं । भगवान बुद्ध के समय श्रावस्ती में एक धार्मिक युवक था। वह समय-समय पर जेतवन आश्रम में प्रवचन सुनने जाता है। धीरे-धीरे, उसका… (Read More)
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अशुभ साधना इस शरीर में केश है,जो सड़ जाने वाले स्वभाव से युक्त है…दुर्गन्ध देने वाले स्वभाव से युक्त है…गंदगी से भरे शरीर में स्थित है…देखने में भी, स्पर्श करने में भी अच्छा नहीं लगता है…इसलिए ये केश गंदा है… गंदा है… गंदा है… घृणित स्वभाव से युक्त है…। इस शरीर में रोम है… इस… (Read More)

