इस मन से बड़ा कोई मित्र नहीं एवं शत्रु भी नहीं...

अगर मन को संयंमित कर उसे सही दिशा दे दिया तो वह स्वयं एवं पर सबके कल्याण के लिए होता है।
लेकिन अगर गलत दिशा में गया तो सबके विनाश का कारण बनता है।

Uposath Calendar

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Saturday, April 5, 2025 / Whole day
शुक्ल अष्टमी (Uposath Day)

भगवान बुद्ध के समय में उनके मार्ग पर चलने वाले अष्टमी के दिन अष्टांग उपोसथ शील धारण करते थे एवं अपने जीवन में अप्रमाण पुण्य जमा करते थे। यह उपोसथ शील अत्यंत उत्तम एवं निर्मल है। इसे पालन करने से मन में प्रसन्नता जागती है एवं शोक दूर होता है। अरहन्त मुनि लोगों का अनुसरण करते हुए यह उपोसथ शील पालन किया जाता है।

Saturday, April 12, 2025 / Whole day
पूर्णिमा (Uposath Day)

इस पूर्णिमा के दिन ये विशेष घटनाएँ घटित हुई थी

  • भगवान बुद्ध का श्रीलंका में दूसरी बार आगमन बुद्धत्व के 5 वर्ष पश्चात्, चूलोदर एवं महोदर नामक दिव्य नागों के मध्य मणि से निर्मित सिंहासन के कलह में युद्ध को शांत करने हेतु

Venerable Guru Bhante jee

हजारों भिक्षुओं के गुरु...
लाखों श्रद्धालुओं के मार्गदर्शक...
हमारे गुरु भन्ते जी

बुद्ध कौन है?

‘बुद्ध कौन है’? यह पुस्तक बाजारों में पाये जाने वाले अन्य पुस्तकों से बिल्कुल भिन्न है। आजकल लोग पुस्तक को रोमांचक करने के लिये उसमें कुछ मेल-जोल भी कर देते हैं, परन्तु इस पुस्तक को त्रिपिटक के आधार पर बनाया गया है।
इस पुस्तक में तीन भाग है। पहले भाग में भगवान बुद्ध का वर्णन है। दूसरे भाग में उनका उपदेश है एवं तीसरे भाग में उनके ज्ञान को अमल कर जो लोग सुख-शांति पाये, उसका विवरण है।

Amritpada

क्रोधी व्यक्ति के साथ गुस्सा करके लड़ने-झगड़ने गया तो उससे हानि खुद की होती है, ऐसा समझ वह क्रोध-गुस्सा नहीं करता है तो वह जीतने में दुष्कर युद्ध को जीत लेता है।

Subhasita jaya sutta (SN)

धन-दौलत से किसी को लंबी आयु नहीं मिल जाती। अपार संपत्ति होने के बावजूद भी व्यक्ति बुढ़ापा से नहीं बच सकता है। इसलिए ज्ञानी मुनिजन कहते हैं कि यह जीवन क्षणभंगूर है। सदा के लिए नहीं, बल्कि बहुत ही अल्प समय के लिए है। सब कुछ बदल जाने वाले स्वभाव से युक्त है।

Ratthapala Sutta (MN)

चाहे वह राजा हो या साधारण मनुष्य; वे सब तृष्णा अर्थात् इच्छा को बिना दूर किए ही मृत्यु की सागर में डूब जाते हैं। जीवन से बिदाई तो लेते हैं परन्तु बिना तृप्त हुये। इस लोक में कामभोगों से कोई तृप्त नहीं हो सकता।

Ratthapala Sutta (MN)

सामने वाले को क्रोध उत्पन्न हुआ है, ‘ऐसा जान, जो व्यक्ति होश में रहते हुए दया-करुणा के साथ सहन करता है तो वह स्वयं एवं पर दोनों की भलाई करता है।

Subhasita jaya sutta (SN)

ज्ञानी व्यक्ति गुरु लोगों की संगति केवल थोड़े ही पल के लिए करते हैं लेकिन वे तुरंत ज्ञान को समझ जाते हैं, जैसे जीभ सूप के रस को तुरंत समझ जाती है।

Meaningful Dhamma quotes

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