Venerable Guru Bhante Jee
हजारों भिक्षुओं के गुरु... लाखों श्रद्धालुओं के मार्गदर्शक... हमारे गुरु भन्ते जी
गुरु भन्ते जी (भन्ते ज्ञानानन्द महाथेरो) श्रीलंका के प्रसिद्ध बौद्ध मन्दिर महामेवनाव के संस्थापक हैं। उनका जन्म 1961 में श्रीलंका के किरिबतगोड नगर में हुआ था। वे 17 वर्ष की आयु में ही वहाँ के एक प्रमुख भिक्षु आचार्य सुमेधंकर थेरो के पास प्रब्रज्या लेकर बौद्ध भिक्षु बन गये। श्रीलंका के मंदिरों में पारंपरिक बौद्ध शैक्षनिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे श्री जयवर्धनपुरा विश्वविद्यालय में सिंहल हॉनर्स डिग्री के लिये अध्ययन करने लगे। तभी उन्हें पालि भाषा में लिखित भगवान बुद्ध का शुद्ध धर्म पढ़ने का दुर्लभ और अप्रत्याशत अवसर मिला, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने मंदिरों का जीवन त्याग दिया और जंगल के आश्रम तथा कुटियों में रहते हुए पूरे लगन के साथ भगवान बुद्ध के ज्ञान का अभ्यास करने के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया।
उसके बाद 10 वर्षों तक भगवान बुद्ध के ज्ञान का गहन अध्ययन करके धर्म-ज्ञान को गहराई से जानने के बाद गुरु भन्ते जी ने भारत के हिमालय पर्वत तथा श्रीलंका के घने जंगलों में रहते हुए भगवान बुद्ध के ज्ञान का अभयास किया। उन्होंने कई अनुभवों को प्राप्त किया।
गुरु भन्ते जी ने अपने इन्हीं कई वर्षों के ज्ञान तथा अनुभव के साथ 14 अगस्त 1999 में महमेवनाव बौद्ध मंदिर की शुरुआत की। श्रीलंका के विभिन्न हिस्सों में जा-जाकर धर्म प्रवचन देकर तथा विविध धर्म कार्यक्रमों का संचालन करके उन्होंने बुद्ध शासन के प्रति लोगों के दिलों में विशेष श्रद्धा जगाई।
गुरु भन्ते जी ने भगवान बुद्ध के पवित्र वचनों को सबके सामने प्रकट करने के लिये उनके शिक्षाओं पे आधारित 300 से भी ज्यादा किताबें सिंहल भाषा में लिखी तथा अंग्रेजी भाषा में भी उनकी कई किताबें प्रकाशित हुई है। ये सारे धार्मिक-पुस्तकों के साथ-साथ उनके धर्म-चर्चा और बुद्ध वंदना की MP3 भी उपलब्ध है, जिससे साधारण जन का बहुत कल्याण हुआ। उसके अतिरिक्त गुरु भन्ते जी ने पूरे सुत्त पिटक को ही सरल सिंहल भाषा में अनुवाद कर दिया, ताकि जीवन के किसी भी दौर से गुजरने वाले लोग इसे पढ़ कर आसानी से समझ सकें। यह बुद्ध शासन के प्रति की गई महान सेवा है, जिसे गुरु भन्ते जी ने बखूबी निभाया। बिना किसी बाहरी या व्यक्तिगत विचारों के मिलावट के केवल बुद्ध के शुद्ध वचनों को प्रकट करके उत्तम धर्म को सिखाना गुरु भन्ते जी का ये उत्कृष्ट धर्म सेवा का अद्भुत गुण है।
उनके ज्ञान को सुनकर अब तक लगभग हजारों से भी ज्यादा युवक उनके पास आकर अपने जीवन को संयंमित करने के लिये भिक्षु बनें हैं। वे सारे भिक्षुगण ऐसे गुरु को पाकर धन्य हो गये एवं अपने आप को अत्यंत भाग्यवान महसूस करते हैं।
गुरु भन्ते जी के निर्देशानुसार श्रीलंका में अब तक 70 से भी ज्यादा आश्रमों का निर्माण हो चुका है एवं अतरराष्ट्रीय स्तर पर लगभग 30 से भी ज्यादा आश्रम विभिन्न देशों में है।
उन गुरु भन्ते जी के दिल में सभी के प्रति असामान्य करुणा है, जिसके फलस्वरूप हमें भी उन्होंने अपनी छत्रछाया में रखी एवं भलीभांति ज्ञान से पोषित किया। जिस किसी को भी ऐसा गुरु मिलेगा, उसका जीवन धन्य हो जायेगा। अहोभाग्य...! गुरु भन्ते जी जैसा गुरु पाकर तो हम धन्य हो गये। उन गुरुवर को हमारा कोटि-कोटि वंदन।
Keep up-to-date with Buddha Rashmi
[mc4wp_form id="354"]