


अशुभ साधना इस शरीर में केश है,जो सड़ जाने वाले स्वभाव से युक्त है…दुर्गन्ध देने वाले स्वभाव से युक्त है…गंदगी से भरे शरीर में स्थित है…देखने में भी, स्पर्श करने में भी अच्छा नहीं लगता है…इसलिए ये केश गंदा है… गंदा है… गंदा है… घृणित स्वभाव से युक्त है…। इस शरीर में रोम है… इस… (Read More)

मैत्री साधना महग्गत चेतोविमुत्ति मै वैर से मुक्त होऊँ… मै क्रोध से मुक्त होऊँ… मै ईर्ष्या से मुक्त होऊँ… मै दुख-पीड़ा से मुक्त होऊँ… मै सदा सुखी होऊँ… सदा सुखी होऊँ… सदा सुखी होऊँ… सभी दुखों से मुक्त होऊँ मेरे समान मेरे आसपास में रहने वाले सभी प्राणी वैर से मुक्त हो… क्रोध से मुक्त… (Read More)

बुद्धानुस्सति ध्यान 1. वे भगवान बुद्ध जी अपने मन की राग, काम-वासना, क्रोध, गुस्सा, अहंकार, घमण्ड, मोह-माया, लालच आदि सभी चित्त विकारों को नष्ट कर दिये हैं। इस संसार में सभी मानव, देवता, ब्रह्म आदि इन चित्त विकारों से युक्त है, पर बुद्ध जी इन सारे चित्त विकारों को नष्ट कर दिये। इसलिए भगवान बुद्ध… (Read More)

ये विपस्सना के बारे में धर्म चर्चा का दूसरा भाग है। इसमें सूत्र देशनाओं के अनुसार बहुत सारे कारणों के बारे में बताया गया है। पिछले विपस्सना के धर्म चर्चा को देखकर लोग जो कुछ प्रश्न पूछे, उसका उत्तर भी इसमें दिया गया है ।

विपस्सना के बारे में आजकल बहुत लोग खोजते हैं। बहुत बार लोग शिविर भी करते हैं । लेकिन बहुत सारे लोगों को भगवान बुद्ध जी के द्वारा बतायी हुई विपस्सना के बारे में नहीं मालूम। आखिर विपस्सना क्या है ? विपस्सना को करने के लिए क्या करना होगा ? विपस्सना ध्यान का पहला कदम क्या… (Read More)