1. शांत है इन्द्रियाँ उन श्रमणों की – मन भी है अत्यंत शांतचाहे बैठे हों या चलते हों – है आचरण परम शांतसंयंमित है आँखें, नीची नजरों वालें – अर्थसहित बात है करतेऐसे हैं मेरे श्रमणगण। 2. शरीर से होने वाले सारे कार्य – है परम पवित्रवाणी भी अत्यंत है निर्मल – नहीं भड़कता कोई… (Read More)
