मैत्री साधना महग्गत चेतोविमुत्ति मै वैर से मुक्त होऊँ… मै क्रोध से मुक्त होऊँ… मै ईर्ष्या से मुक्त होऊँ… मै दुख-पीड़ा से मुक्त होऊँ… मै सदा सुखी होऊँ… सदा सुखी होऊँ… सदा सुखी होऊँ… सभी दुखों से मुक्त होऊँ मेरे समान मेरे आसपास में रहने वाले सभी प्राणी वैर से मुक्त हो… क्रोध से मुक्त… (Read More)
आनापानसति ध्यान(अपने श्वास के प्रति सति-स्मृति) भगवान बुद्ध ने महा सतिपट्ठान सूत्र में आनापानसति ध्यान के बारे में ऐसा विस्तार किया है।” हे भिक्षुओं ! इस धर्म पर चलने वाला श्रद्धालु व्यक्ति इस शरीर के सत्य स्वभाव को बोध करते हुए शरीर के प्रति विपस्सना कैसे करता है ? हे भिक्षुओं ! इस धर्म पर… (Read More)

