धम्मपद – बाल वर दीघा जागरतो रत्ति – दीघं सन्तस्स योजनंदीघो बालानं संसारो – सद्धम्मं अविजानतं। 1. जागने वाले लोगों के लिये रात्रि बहुत लंबी होती है। बहुत थके हुये लोगों को पैदल जाने में योजन की दूरी बहुत लंबी होती है। उसी तरह परम सत्य को बोध न करने वाले अज्ञानी जन के लिये… (Read More)
