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चूल सुभद्रा के द्वारा की गई अरहंतों के गुण की वर्णना

1. शांत है इन्द्रियाँ उन श्रमणों की – मन भी है अत्यंत शांतचाहे बैठे हों या चलते हों – है आचरण परम शांतसंयंमित है आँखें, नीची नजरों वालें – अर्थसहित बात है करतेऐसे हैं मेरे श्रमणगण। 2. शरीर से होने वाले सारे कार्य – है परम पवित्रवाणी भी अत्यंत है निर्मल – नहीं भड़कता कोई… (Read More)

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परम सुन्दर निर्वाण

असंखतं नन्तमनासवं च – सच्चं च पारं निपुणं सुदुद्संअजज्जरं धुवं अपलोकितं च – अनिदस्सनं निप्पपञ्चं च सन्तंनिब्बाणमेतं सुगतेन देसितं सुगत तथागत भगवान बुद्ध निर्वाण के बारे में ऐसा बताये असंखतं – अमृत निर्वाण किसी चीज से बना नहीं हैअनंतं – वो जो अनंत हैअनासवं – क्लेश-गंदगी से मुक्त हैसच्चं – परम सत्य हैपारं – भवसागर से पार हैनिपुणं – जिसे सूक्ष्म… (Read More)

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शरणागमन, पंचशील, उपोसथ शील – पालि में हिंदी अर्थ सहित

बुद्ध वन्दना नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स। उन भगवान अर्हत सम्यक् सम्बुद्ध को मेरा नमस्कार हो ।उन भगवान अर्हत सम्यक् सम्बुद्ध को मेरा नमस्कार हो ।उन भगवान अर्हत सम्यक् सम्बुद्ध को मेरा नमस्कार हो । साधु ! साधु !! साधु !!! त्रिशरण बुद्धं सरणं गच्छामिधम्मं सरणं गच्छामिसंघं… (Read More)

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Ratana Sutta Chanting with Hindi Intro

यानिध भूतानि समागतानि  –  भुम्मानि वा यानि व अन्तलिक्खे ।सब्बेव भूता सुमना भवन्तु  –  अथोपि सक्कच्च सुणन्तु भासितं ।। जो कोई प्राणी यहाँ उपस्थित है / धरती पर या आकाश मेंउन सबके कल्याण के लिए / हमारे इस कथन को भली प्रकार से सुनें । तस्मा हि भूता निसामेथ सब्बे  –  मेत्तं करोथ मानुसिया पजाय… (Read More)

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जानिए… सही तरीके से आनापानसति साधना कैसे करें ?

आनापानसति ध्यान(अपने श्वास के प्रति सति-स्मृति) भगवान बुद्ध ने महा सतिपट्ठान सूत्र में आनापानसति ध्यान के बारे में ऐसा विस्तार किया है।” हे भिक्षुओं ! इस धर्म पर चलने वाला श्रद्धालु व्यक्ति इस शरीर के सत्य स्वभाव को बोध करते हुए शरीर के प्रति विपस्सना कैसे करता है ? हे भिक्षुओं ! इस धर्म पर… (Read More)

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मैत्री साधना

मैत्री साधना महग्गत चेतोविमुत्ति मै वैर से मुक्त होऊँ… मै क्रोध से मुक्त होऊँ… मै ईर्ष्या से मुक्त होऊँ… मै दुख-पीड़ा से मुक्त होऊँ… मै सदा सुखी होऊँ… सदा सुखी होऊँ… सदा सुखी होऊँ…  सभी दुखों से मुक्त होऊँ मेरे समान मेरे आसपास में रहने वाले सभी प्राणी वैर से मुक्त हो… क्रोध से मुक्त… (Read More)

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बुद्धानुस्सति ध्यान

बुद्धानुस्सति ध्यान 1. वे भगवान बुद्ध जी अपने मन की राग, काम-वासना, क्रोध, गुस्सा, अहंकार, घमण्ड, मोह-माया, लालच आदि सभी चित्त विकारों को नष्ट कर दिये हैं। इस संसार में सभी मानव, देवता, ब्रह्म आदि इन चित्त विकारों से युक्त है, पर बुद्ध जी इन सारे चित्त विकारों को नष्ट कर दिये। इसलिए भगवान बुद्ध… (Read More)

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अशुभ साधना

अशुभ साधना इस शरीर में केश है,जो सड़ जाने वाले स्वभाव से युक्त है…दुर्गन्ध देने वाले स्वभाव से युक्त है…गंदगी से भरे शरीर में स्थित है…देखने में भी, स्पर्श करने में भी अच्छा नहीं लगता है…इसलिए ये केश गंदा है… गंदा है… गंदा है… घृणित स्वभाव से युक्त है…। इस शरीर में रोम है… इस… (Read More)

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