धम्मपद – पुप्फ वर्ग को इमं पठविं विजेस्सति – यमलोकञ्च इमं सदेवकंको धम्मपदं सुदेसितं – कुसलो पुप्फमिव पचेस्सति । 1. इस धरती को कौन जीतेगा ? स्वर्ग और नरक सहित सभी लोकों को कौन जीतेगा ? जैसे चतुर माली सुन्दर फुलों को चुनकर तोड़ता है, वैसे ही भली प्रकार से बताये गये इस अमृतमय बुद्धवाणी… (Read More)
धम्मपद – बाल वर दीघा जागरतो रत्ति – दीघं सन्तस्स योजनंदीघो बालानं संसारो – सद्धम्मं अविजानतं। 1. जागने वाले लोगों के लिये रात्रि बहुत लंबी होती है। बहुत थके हुये लोगों को पैदल जाने में योजन की दूरी बहुत लंबी होती है। उसी तरह परम सत्य को बोध न करने वाले अज्ञानी जन के लिये… (Read More)
निधीनंव पवत्तारं, यं पस्से वज्जदस्सिनंनिग्गय्हवादिं मेधाविं, तादिसं पण्डितं भजेतादिसं भजमानस्स, सेय्यो होति न पापियो । 1. खजाने का स्थान दिखाने वाले मित्र की तरह ज्ञानी व्यक्ति अपने लोगों के गलती को देखने पर कभी-कभी कठोर वाणी से भी अनुशासन कर सकते हैं। ऐसे ज्ञानी सत्पुरूषों की ही संगती करनी चाहिये। वैसे ज्ञानी लोगों की संगती… (Read More)
विपस्सना के बारे में आजकल बहुत लोग खोजते हैं। बहुत बार लोग शिविर भी करते हैं । लेकिन बहुत सारे लोगों को भगवान बुद्ध जी के द्वारा बतायी हुई विपस्सना के बारे में नहीं मालूम। आखिर विपस्सना क्या है ? विपस्सना को करने के लिए क्या करना होगा ? विपस्सना ध्यान का पहला कदम क्या… (Read More)
ये विपस्सना के बारे में धर्म चर्चा का दूसरा भाग है। इसमें सूत्र देशनाओं के अनुसार बहुत सारे कारणों के बारे में बताया गया है। पिछले विपस्सना के धर्म चर्चा को देखकर लोग जो कुछ प्रश्न पूछे, उसका उत्तर भी इसमें दिया गया है ।
लोग बुद्ध के प्रति श्रद्धा-श्रद्धा कहते हैं, पर क्या आप जानते हैं कि श्रद्धा दो प्रकार की होती है, जिसमें से वास्तविक श्रद्धा क्या होती है…? वो आपको इस धर्म-चर्चा से समझ में आयेगा। श्रद्धा का स्वभाव क्या है…? भगवान बुद्ध के प्रति अटल श्रद्धा कैसे उत्पन्न कर सकते हैं..? उसके लिए क्या करना चाहिए..?… (Read More)
भगवान नाम का अर्थ क्या है ? सच्चा भगवान किसे कहते हैं ? बुद्ध को भगवान क्यों कहते है ? ‘भगवान’ वचन सबसे पहले किसके लिए इस्तेमाल हुआ ? गौतम बुद्ध महान कैसे बनें ? क्या आप महात्मा बुद्ध के बारे में जानना चाहते हैं ? क्या आप गौतम बुद्ध की संगती करना चाहते हैं… (Read More)
पुण्यवान सज्जनो, पुण्यवान बच्चो, यह खूबसूरत जातक कथा आप सभी ने पहले भी सुनी होगी । इस जातक कथा की पृष्ठभूमि बहुत मूल्यवान सलाह है जिसे हम अभी तक नहीं जानते हैं । भगवान बुद्ध के समय श्रावस्ती में एक धार्मिक युवक था। वह समय-समय पर जेतवन आश्रम में प्रवचन सुनने जाता है। धीरे-धीरे, उसका… (Read More)
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स धम्मचक्कप्पवत्तन सुत्त एवं मे सुतं एकं समयं भगवा बाराणसियं विहरति इसिपतने मिगदाये तत्र खो भगवा पञ्चवग्गिये भिक्खू आमन्तेसि। द्वे मे भिक्खवे अन्ता पब्बजितेन न सेवितब्बा। यो चायं कामेसु कामसुखल्लिकानुयोगो हीनो गम्मो पोथुज्जनिको अनरियो अनत्थसंहितो। यो चायं अत्तकिलमथानुयोगो दुक्खो अनरियो… (Read More)
उस समय, भगवान बुद्ध श्रावस्ती के जेतवन में रह रहे थे, एक भिक्षु निर्वाण को साक्षात् करने के लिए लंबे समय से प्रयत्न कर रहा था, लेकिन उसे फल नहीं मिल सका। वह ध्यान लगाना और प्रवचन सुनना छोड़ दिया। यह जानकर, भगवान बुद्ध ने उस भिक्षु के मन को शांत करने और उसके प्रयासों… (Read More)

