मैत्री साधना महग्गत चेतोविमुत्ति मै वैर से मुक्त होऊँ… मै क्रोध से मुक्त होऊँ… मै ईर्ष्या से मुक्त होऊँ… मै दुख-पीड़ा से मुक्त होऊँ… मै सदा सुखी होऊँ… सदा सुखी होऊँ… सदा सुखी होऊँ… सभी दुखों से मुक्त होऊँ मेरे समान मेरे आसपास में रहने वाले सभी प्राणी वैर से मुक्त हो… क्रोध से मुक्त… (Read More)
बुद्धानुस्सति ध्यान 1. वे भगवान बुद्ध जी अपने मन की राग, काम-वासना, क्रोध, गुस्सा, अहंकार, घमण्ड, मोह-माया, लालच आदि सभी चित्त विकारों को नष्ट कर दिये हैं। इस संसार में सभी मानव, देवता, ब्रह्म आदि इन चित्त विकारों से युक्त है, पर बुद्ध जी इन सारे चित्त विकारों को नष्ट कर दिये। इसलिए भगवान बुद्ध… (Read More)
अशुभ साधना इस शरीर में केश है,जो सड़ जाने वाले स्वभाव से युक्त है…दुर्गन्ध देने वाले स्वभाव से युक्त है…गंदगी से भरे शरीर में स्थित है…देखने में भी, स्पर्श करने में भी अच्छा नहीं लगता है…इसलिए ये केश गंदा है… गंदा है… गंदा है… घृणित स्वभाव से युक्त है…। इस शरीर में रोम है… इस… (Read More)
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‘बुद्ध कौन है’? यह पुस्तक बाजारों में पाये जाने वाले अन्य पुस्तकों से बिल्कुल भिन्न है। आजकल लोग पुस्तक को रोमांचक करने के लिये उसमें कुछ मेल-जोल भी कर देते हैं, परन्तु इस पुस्तक को त्रिपिटक के आधार पर बनाया गया है। इस पुस्तक में तीन भाग है। पहले भाग में भगवान बुद्ध… (Read More)

