1. शांत है इन्द्रियाँ उन श्रमणों की – मन भी है अत्यंत शांत चाहे बैठे हों या चलते हों – है आचरण परम शांत संयंमित है आँखें, नीची नजरों वालें – अर्थसहित बात है करते ऐसे हैं मेरे श्रमणगण। 2. शरीर से होने वाले सारे कार्य – है परम पवित्र वाणी भी...
यानिध भूतानि समागतानि – भुम्मानि वा यानि व अन्तलिक्खे । सब्बेव भूता सुमना भवन्तु – अथोपि सक्कच्च सुणन्तु भासितं ।। जो कोई प्राणी यहाँ उपस्थित है / धरती पर या आकाश में उन सबके कल्याण के लिए / हमारे इस कथन को भली प्रकार से सुनें । तस्मा हि भूता निसामेथ...
असंखतं नन्तमनासवं च – सच्चं च पारं निपुणं सुदुद्सं अजज्जरं धुवं अपलोकितं च – अनिदस्सनं निप्पपञ्चं च सन्तं निब्बाणमेतं सुगतेन देसितं सुगत तथागत भगवान बुद्ध निर्वाण के बारे में ऐसा बताये असंखतं – अमृत निर्वाण किसी चीज से बना नहीं है अनंतं – वो जो...
बुद्ध वन्दना नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स। नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स। नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स। उन भगवान अर्हत सम्यक् सम्बुद्ध को मेरा नमस्कार हो । उन भगवान अर्हत सम्यक् सम्बुद्ध को मेरा नमस्कार हो । उन भगवान अर्हत सम्यक् सम्बुद्ध को...